Tuesday, January 4, 2011

Ghazal

रात का सन्नाटा है और ए तन्हाइ है
फिराक के ए पल आपकी याद आइ है

तकिये के नीचए छुपाये है पुराने खत
कुछ रोज हुये ख्वाब में आप आइ है

चाहे जब यादे सनम दिल का दर्द बढाना
मैने तेरी तस्वीर से जी बहलाई है

तेरी वो मीठी बाते तेरा वो मुस्कुराना
दिलो दिमाग में मेरे ताजगी लायी है

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